abhiwrites

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किसी रोज आकर ये शाम सजा देना

किसी रोज आकर ,ये शाम सज़ा देना।


मैं तन्हा जी रहा हूँ, सीने से लगा लेना।


वक़्त से कह देना ,भागने की जरूरत नहीं।

घड़ी की सुइयों पर, रुकने का पहरा लगा देना।


थाम लेना मेरे हाथों को हाथों में।

बिन कहे फिर तुम सब कुछ बता देना।


ये दिन ,ये रात बस एक दूसरे को चाह रहे है।

मेरी चाहत का भी ,कुछ तो मोल लगा लेना।


तुमसे कहता था मैं, ये इश्क़ नही आसां।

घर की जिम्मेदारी है मुझपे,कहीं और दिल लगा लेना।


तेरी एक ज़िद में मैं वीरान हो गया हूँ।

पास आकर मेरे खालीपन की एक महफ़िल सजा देना।

किसी रोज आकर ये शाम सजा देना।।


#Abhiwrites ❣

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6 Comments

Renu

27-Mar-2023 10:27 PM

Very nice 👍

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खूबसूरत

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Abhinav ji

27-Mar-2023 08:47 AM

Very nice 👌

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